इस आत्मकथा में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?

पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर इसलिए संबोधित किया है क्योंकि उनका मानना था की वहाँ काम करके आप अपनी क्षमता एवं प्रतिभा पर ध्यान नहीं दे सकते है। वहाँ आप बस पूरा दिन भट्टी की तरह सुलगते रहते हैं अर्थात वहाँ हर समय कुछ न कुछ काम चलता रहता है और अपनी प्रतिभा और शिक्षा के लिए व्यक्ति समय नहीं दे पाता। आप पकाने-खाने तक ही सीमित रह जाते हैं और अपनी सही प्रतिभा का विकास और उपयोग नहीं कर पाते।


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